पल
पल जो मेरे साथ है
हर समय
एक नयी चेतावनी
एक नया दस्तक
दे जाती है.
याद दिलाती है, हमेशा
अंत होने की टोक
समापन की ध्वनि,
भयभीत जीवन की
सुचना!
एक प्रश्न, एक सत्य,
जो मुझे अनंतकाल से
दुविधा में झंझोर के रखा है,
जो पल, मैंने खोया
जो सांसे मैंने गवाएं
हिसाब में मंगू किस से?
सफ़ेद पन्हो पे,
एक नयी रंग की,
अपेक्षा.
एक नयी भाषा की,
परिभाषा.
परिभाषा.
खर्च कर दिए मैंने,
जमी हुई पलों की पूंजी.
मेहेत्वाकंषा की नीव
हल्का महसूस कर रहा हूँ, आज.
दबना नहीं चाहता हूँ
अपने सपनों के बोझ तले.
दम घुटा है मेरा,
पलों के हिसाब से,
मुक्ति!
अंतहीन, एक यात्रा,
एक नयी रास्ता.
समापन उस पल का,
आज होने दो,
हर दिन एक नयी नीव
एक नया सवेरा
एक नया पल.
होने दो, होने दो!
- रामकमल मुख़र्जी
- रामकमल मुख़र्जी
Ramkamal ji.... Bahut Khub... !!! Ak Naya sawera... Ak Naya pal... hone do... Hone do...!!!
ReplyDeleteThanks Ashok ji. ur comment is so valuable.
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